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विद्यापति

पूरा नाम               विद्यापति ठाकुर
अन्य नाम             महाकवि कोकिल विद्यापति
जन्म                    सन् 1350 से 1374 के मध्य
जन्म भूमि            बिसपी गाँव, मधुबनी ज़िला, बिहार
मृत्यु                     सन् 1440 से 1448 के मध्य
समाधि भूमि         विद्यापति धाम,समस्तीपुर जिला,बिहार
अभिभावक          श्री गणपति ठाकुर और श्रीमती हाँसिनी देवी
कर्म-क्षेत्र               संस्कृत साहित्यकार
मुख्य रचनाएँ         कीर्तिलता, मणिमंजरा ,नाटिका,गंगावाक्यावली,भूपरिक्रमा आदि
विषय                    शृंगार और भक्ति रस
भाषा                     संस्कृत, अवहट्ट और मैथिली
उपाधि                   महाकवि
नागरिकता            भारतीय

​विद्यापति भारतीय साहित्य की भक्ति परंपरा के प्रमुख स्तंभों मे से एक और मैथिली के सर्वोपरि कवि के रूप में जाने जाते हैं। इनके काव्यों में मध्यकालीन मैथिली भाषा के स्वरुप का दर्शन किया जा सकता है। इन्हें वैष्णव और शैव भक्ति के सेतु के रुप में भी स्वीकार किया गया है। मिथिला के लोगों को 'देसिल बयना सब जन मिट्ठा' का सूत्र दे कर इन्होंने उत्तरी-बिहार में लोकभाषा की जनचेतना को जीवित करने का महती प्रयास किया है।
मिथिलांचल के लोकव्यवहार में प्रयोग किये जानेवाले गीतों में आज भी विद्यापति की श्रृंगार और भक्ति रस में डूबी रचनायें जीवित हैं। पदावली और कीर्तिलता इनकी अमर रचनायें हैं।

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